अकेली नहीं है धरती, हम सब इससे जुड़े हैं – इंटरकनेक्टेड लाइफ और पर्यावरण चेतना

इंटरकनेक्टेड लाइफ और पर्यावरण चेतना

हम में से कई लोग सोचते हैं कि पर्यावरण बचाना, पेड़ लगाना या कचरा कम करना केवल “प्रकृति के लिए” होता है, जैसे कि वो कोई अलग चीज़ हो। पर सच्चाई यह है कि धरती और हम अलग-अलग नहीं हैं। हमारी हर सांस, हर घूंट पानी, हर निवाला भोजन धरती से आता है। धरती बीमार, … Read more

मासूम जानवर, बेरहम व्यापार

मासूम जानवरों पर क्रूर व्यापार के खिलाफ करुणा और जागरूकता का संदेश

चमड़ा, ऊन, सर्कस, चिड़ियाघर और पशु शोषण की मौन चीखें “जब इंसान की इच्छाएँ हिंसक हो जाती हैं, तब सबसे पहले उसकी करुणा मरती है — और उसके बाद शोषण शुरू होता है।” हमारी दुनिया में रोज़ कुछ ऐसा घटता है, जिसे हमने ‘सामान्य’ कहकर अनदेखा करना सीख लिया है।चमड़े का बैग, ऊन की स्वेटर, … Read more

धरती गर्म क्यों हो रही है? ग्लोबल वार्मिंग और हमारी भागीदारी

आजकल जब भी हम बाहर निकलते हैं, तो गर्मी का अहसास कुछ ज़्यादा ही होता है। सूरज की तीव्रता जैसे हमसे बातें करने लगी है, और हमारे अंदर एक अजीब सा डर बैठ गया है। धरती गर्म क्यों हो रही है? इस सवाल का जवाब सरल नहीं है, लेकिन यह सवाल इतना महत्वपूर्ण है कि … Read more

क्यों चीखते हैं पेड़-पौधे भी?

विनाश और उपेक्षा से दुखी होते पेड़-पौधों का प्रतीक चित्र

– वनों की कटाई और हमारी आत्मा की कटाई आज मैं अपना नया ब्लॉग लिख रही हूँ जिसका विषय है — “क्यों चीखते हैं पेड़-पौधे भी?“आइए, इसे दिल से समझते हैं। जब पेड़ कटते हैं, तो केवल लकड़ी नहीं गिरती__ सोचिए, अगर आपके शरीर से धीरे-धीरे एक-एक अंग काटा जाए, तो क्या आप चुप रहेंगे? … Read more

श्लोक (अध्याय 2, श्लोक 11):

"भगवान श्रीकृष्ण शांति से एक चिंतित साधिका को जीवन और मृत्यु के रहस्यों की शिक्षा देते हुए, सूर्यास्त के समय प्राकृतिक पृष्ठभूमि में।"

श्रीभगवानुवाचअशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे।गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः॥ “तुम ऐसे लोगों के लिए शोक कर रहे हो जो शोक के योग्य नहीं हैं, और ज्ञानियों की तरह बातें कर रहे हो। किंतु ज्ञानी न तो मृत (जिसमें प्राण नहीं हैं) के लिए शोक करते हैं, और न ही जीवित (जिसमें प्राण हैं) के लिए।” शोक करना सही है? … Read more

🌸 गीता की ओर पहला क़दम… 🌸

आज मैं उस महान ग्रंथ की ओर पहला क़दम रख रही हूँ, जिसने मुझे भीतर से झकझोरा, समझाया और बदलना शुरू किया — भगवद गीता। लेकिन ये वही गीता नहीं है जो हमने किताबों में रटकर छोड़ दी थी। यह वह जीवंत गीता है जिसे मैं आचार्य प्रशांत जी से समझ रही हूँ — बिना … Read more

मेरी स्वधर्म यात्रा: जब मैं आचार्य प्रशांत जी से मिली

एक 35 वर्षीय महिला पुस्तक पढ़ते-पढ़ते गहरे विचारों में डूबी हुई – आत्मचिंतन और जीवन के अर्थ की खोज में लीन

गीता से पुराना रिश्ता, नया अनुभव मेरी आध्यात्मिक यात्रा का सच्चा अनुभव भगवद गीता से जुड़ा है। पिछले 7-8 वर्षों में मैंने गीता के कई संस्करण पढ़े, लेकिन अब समझ रही हूँ कि यह केवल पढ़ाई नहीं, जीवन में जीने वाली आध्यात्मिक यात्रा है। मन में हमेशा यह प्रश्न रहा कि क्या गीता को केवल … Read more