फ़ास्ट फ़ैशन का धीमा ज़हर – कपड़े बदलने की आदत से कैसे बदल रही है धरती

फैशन उद्योग का पर्यावरण पर विनाशकारी बनाम सतत प्रभाव दिखाती दोहरी छवि।

सोचो ज़रा… क्या आपने हाल ही में बिना ज़रूरत के कोई नया कपड़ा खरीदा?बस इसलिए क्योंकि वो सेल में था? या क्योंकि इंस्टाग्राम पर वो ट्रेंड में है? मैं आपसे ही बात कर रही हूँ… हाँ, आपसे।क्योंकि मैं खुद इस पर गहराई से सोच रही हूँ, आचार्य प्रशांत जी से ये सीखते हुए, कि हम … Read more

परिचय: गीता अनुभव की शुरुआत वहीं से हुई जहाँ जीवन ने एक मोड़ लिया

Woman in orange saree walking on a winding path at sunset, symbolizing a spiritual journey.

“Anta Asti Prarambh” — यह वाक्य मैंने आचार्य प्रशांत जी के एक गीता सत्र में सुना था। सुनते ही जैसे कोई अनकही बात दिल में उतर गई। क्या सच में जहाँ अंत होता है, वहीं से प्रारंभ होता है? मेरा गीता अनुभव यही कहता है — हाँ, बिल्कुल। जब जीवन के एक अध्याय ने खुद-ब-खुद … Read more

अकेली नहीं है धरती, हम सब इससे जुड़े हैं – इंटरकनेक्टेड लाइफ और पर्यावरण चेतना

इंटरकनेक्टेड लाइफ और पर्यावरण चेतना

हम में से कई लोग सोचते हैं कि पर्यावरण बचाना, पेड़ लगाना या कचरा कम करना केवल “प्रकृति के लिए” होता है, जैसे कि वो कोई अलग चीज़ हो। पर सच्चाई यह है कि धरती और हम अलग-अलग नहीं हैं। हमारी हर सांस, हर घूंट पानी, हर निवाला भोजन धरती से आता है। धरती बीमार, … Read more

धरती गर्म क्यों हो रही है? ग्लोबल वार्मिंग और हमारी भागीदारी

आजकल जब भी हम बाहर निकलते हैं, तो गर्मी का अहसास कुछ ज़्यादा ही होता है। सूरज की तीव्रता जैसे हमसे बातें करने लगी है, और हमारे अंदर एक अजीब सा डर बैठ गया है। धरती गर्म क्यों हो रही है? इस सवाल का जवाब सरल नहीं है, लेकिन यह सवाल इतना महत्वपूर्ण है कि … Read more

पानी की आख़िरी बूँद– जल संकट और हमारी ज़िम्मेदारी

आज मैं अपने “धरती की पुकार” सेक्शन के लिए अपना तीसरा ब्लॉग लिख रही हूँ। इसका विषय है: “पानी की आख़िरी बूँद – जल संकट और हमारी ज़िम्मेदारी”। ज़रा आँखें बंद करके सोचिए — एक तपती दोपहर है। आप बहुत प्यासे हैं। नल खोलते हैं… लेकिन एक भी बूँद नहीं टपकती।अब आप क्या करेंगे? ये … Read more

🌸 गीता की ओर पहला क़दम… 🌸

आज मैं उस महान ग्रंथ की ओर पहला क़दम रख रही हूँ, जिसने मुझे भीतर से झकझोरा, समझाया और बदलना शुरू किया — भगवद गीता। लेकिन ये वही गीता नहीं है जो हमने किताबों में रटकर छोड़ दी थी। यह वह जीवंत गीता है जिसे मैं आचार्य प्रशांत जी से समझ रही हूँ — बिना … Read more

मेरी स्वधर्म यात्रा: जब मैं आचार्य प्रशांत जी से मिली

एक 35 वर्षीय महिला पुस्तक पढ़ते-पढ़ते गहरे विचारों में डूबी हुई – आत्मचिंतन और जीवन के अर्थ की खोज में लीन

गीता से पुराना रिश्ता, नया अनुभव मेरी आध्यात्मिक यात्रा का सच्चा अनुभव भगवद गीता से जुड़ा है। पिछले 7-8 वर्षों में मैंने गीता के कई संस्करण पढ़े, लेकिन अब समझ रही हूँ कि यह केवल पढ़ाई नहीं, जीवन में जीने वाली आध्यात्मिक यात्रा है। मन में हमेशा यह प्रश्न रहा कि क्या गीता को केवल … Read more