क्यों चीखते हैं पेड़-पौधे भी?

विनाश और उपेक्षा से दुखी होते पेड़-पौधों का प्रतीक चित्र

– वनों की कटाई और हमारी आत्मा की कटाई आज मैं अपना नया ब्लॉग लिख रही हूँ जिसका विषय है — “क्यों चीखते हैं पेड़-पौधे भी?“आइए, इसे दिल से समझते हैं। जब पेड़ कटते हैं, तो केवल लकड़ी नहीं गिरती__ सोचिए, अगर आपके शरीर से धीरे-धीरे एक-एक अंग काटा जाए, तो क्या आप चुप रहेंगे? … Read more

श्लोक (अध्याय 2, श्लोक 11):

"भगवान श्रीकृष्ण शांति से एक चिंतित साधिका को जीवन और मृत्यु के रहस्यों की शिक्षा देते हुए, सूर्यास्त के समय प्राकृतिक पृष्ठभूमि में।"

श्रीभगवानुवाचअशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे।गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः॥ “तुम ऐसे लोगों के लिए शोक कर रहे हो जो शोक के योग्य नहीं हैं, और ज्ञानियों की तरह बातें कर रहे हो। किंतु ज्ञानी न तो मृत (जिसमें प्राण नहीं हैं) के लिए शोक करते हैं, और न ही जीवित (जिसमें प्राण हैं) के लिए।” शोक करना सही है? … Read more

धरती की पुकार: क्या तुम मुझे सुन सकते हो?

“मैं मिट्टी हूँ, पानी हूँ, हवा हूँ। मैं तुम्हारा घर हूँ — लेकिन आज मैं थकी हूँ, घायल हूँ, और शायद आख़िरी बार पुकार रही हूँ। क्या तुम सुन सकते हो?” कभी जिस धरती ने तुम्हें माँ की तरह संभाला, आज वही धरती कराह रही है। पेड़ जो छाया देते थे, अब गिनती के रह … Read more

🌸 गीता की ओर पहला क़दम… 🌸

आज मैं उस महान ग्रंथ की ओर पहला क़दम रख रही हूँ, जिसने मुझे भीतर से झकझोरा, समझाया और बदलना शुरू किया — भगवद गीता। लेकिन ये वही गीता नहीं है जो हमने किताबों में रटकर छोड़ दी थी। यह वह जीवंत गीता है जिसे मैं आचार्य प्रशांत जी से समझ रही हूँ — बिना … Read more

मेरी स्वधर्म यात्रा: जब मैं आचार्य प्रशांत जी से मिली

एक 35 वर्षीय महिला पुस्तक पढ़ते-पढ़ते गहरे विचारों में डूबी हुई – आत्मचिंतन और जीवन के अर्थ की खोज में लीन

गीता से पुराना रिश्ता, नया अनुभव मेरी आध्यात्मिक यात्रा का सच्चा अनुभव भगवद गीता से जुड़ा है। पिछले 7-8 वर्षों में मैंने गीता के कई संस्करण पढ़े, लेकिन अब समझ रही हूँ कि यह केवल पढ़ाई नहीं, जीवन में जीने वाली आध्यात्मिक यात्रा है। मन में हमेशा यह प्रश्न रहा कि क्या गीता को केवल … Read more