परिचय: गीता अनुभव की शुरुआत वहीं से हुई जहाँ जीवन ने एक मोड़ लिया

Woman in orange saree walking on a winding path at sunset, symbolizing a spiritual journey.

“Anta Asti Prarambh” — यह वाक्य मैंने आचार्य प्रशांत जी के एक गीता सत्र में सुना था। सुनते ही जैसे कोई अनकही बात दिल में उतर गई। क्या सच में जहाँ अंत होता है, वहीं से प्रारंभ होता है? मेरा गीता अनुभव यही कहता है — हाँ, बिल्कुल। जब जीवन के एक अध्याय ने खुद-ब-खुद … Read more

क्या जनसंख्या ही असली संकट है? – जनसंख्या विस्फोट और संसाधनों की लूट

जनसंख्या विस्फोट और संसाधनों की लूट

मैं तुम्हें अपनी कहानी सुनाती हूँ — एक बिल्कुल आम लड़की की, जो अपनी ज़िंदगी में बस अपने छोटे-छोटे सपनों में उलझी हुई थी। मैं एक टॉप-टियर मीडिया नौकरी में थी — दिनभर काम, फोन, टारगेट, मीटिंग्स, थकान… और बस यही समझती थी कि यही ज़िंदगी है। कभी सोचा ही नहीं था कि मेरी खपत, … Read more

अकेली नहीं है धरती, हम सब इससे जुड़े हैं – इंटरकनेक्टेड लाइफ और पर्यावरण चेतना

इंटरकनेक्टेड लाइफ और पर्यावरण चेतना

हम में से कई लोग सोचते हैं कि पर्यावरण बचाना, पेड़ लगाना या कचरा कम करना केवल “प्रकृति के लिए” होता है, जैसे कि वो कोई अलग चीज़ हो। पर सच्चाई यह है कि धरती और हम अलग-अलग नहीं हैं। हमारी हर सांस, हर घूंट पानी, हर निवाला भोजन धरती से आता है। धरती बीमार, … Read more

शाकाहारी जीवनशैली: एक समाधान – कैसे छोटे बदलाव बड़ा असर कर सकते हैं

कई बार मैं रात को बैठकर सोचती हूँ, क्या सच में हमारे खाने-पीने के छोटे-छोटे चुनाव धरती और जानवरों के लिए फर्क ला सकते हैं?और फिर दिल में एक हल्की-सी चुभन होती है — अगर मैं कोशिश करूँ, तो शायद हाँ! इसीलिए आज तुम्हारे साथ ये बात बाँटने का मन किया। न कोई बड़ा लेख, … Read more

मासूम जानवर, बेरहम व्यापार

मासूम जानवरों पर क्रूर व्यापार के खिलाफ करुणा और जागरूकता का संदेश

चमड़ा, ऊन, सर्कस, चिड़ियाघर और पशु शोषण की मौन चीखें “जब इंसान की इच्छाएँ हिंसक हो जाती हैं, तब सबसे पहले उसकी करुणा मरती है — और उसके बाद शोषण शुरू होता है।” हमारी दुनिया में रोज़ कुछ ऐसा घटता है, जिसे हमने ‘सामान्य’ कहकर अनदेखा करना सीख लिया है।चमड़े का बैग, ऊन की स्वेटर, … Read more

क्यों चीखते हैं पेड़-पौधे भी?

विनाश और उपेक्षा से दुखी होते पेड़-पौधों का प्रतीक चित्र

– वनों की कटाई और हमारी आत्मा की कटाई आज मैं अपना नया ब्लॉग लिख रही हूँ जिसका विषय है — “क्यों चीखते हैं पेड़-पौधे भी?“आइए, इसे दिल से समझते हैं। जब पेड़ कटते हैं, तो केवल लकड़ी नहीं गिरती__ सोचिए, अगर आपके शरीर से धीरे-धीरे एक-एक अंग काटा जाए, तो क्या आप चुप रहेंगे? … Read more